Translate

 मध्यप्रदेश के प्रमुख पर्वत

 विंध्याचल पर्वत

यह हिमालय से भी प्राचीन पर्वत है जो नर्मदा नदी के उत्तर में पूर्व से पश्चिम की ओर फैला है इसकी ऊंचाई 457 मीटर से 610 मीटर तक है लेकिन कहीं-कहीं इसकी ऊंचाई 914 मीटर है इसके उत्तर में मालवा का पठार है इस पर्वत की ऊंचाई सबसे ऊंची चोटी अमरकंटक है !

पूर्वी क्षेत्र में यह भांडेर पर्वत के नाम से भी जाना जाता है इससे अनेक नदियां नर्मदा,सोन,केन,वेतवा नदी निकलती है यह क्वार्टज के बालू के लाल पत्थरों से बना है इन चट्टानों को भवन निर्माण के लिए अधिकतर काम में लाते हैं !

 सतपुड़ा पर्वत 

यह पर्वत नदी के दक्षिण में विंध्याचल के समांतर लगभग 1120 मीटर विस्तार में पूर्व से पश्चिम की ओर राजपीपला की पहाड़ियों से होकर पश्चिमी घाट तक फैला है !

इसकी 7 शाखाओं में अमरकंटक, असीरगढ़ तथा महादेव प्रमुख है सतपुड़ा पर्वत 700 मीटर से 1350 मीटर तक ऊंचा है इस की सबसे ऊंची चोटी धूपगढ़ है जो पचमढ़ी के पास महादेव पर्वत स्थित है यह पर्वत श्रेणी मध्यप्रदेश का सर्वाधिक ऊंचा स्थान माना जाता है योग ग्रेनाइट व बेसाल्ट की चट्टानों से बनी है !

अरावली पर्वत 

मालवा के उत्तर पश्चिम पठार क्षेत्र में स्थित इन पर्वतों के ढाल काफी तीव्र और सिर्फ चपटे हैं इस पर्वत श्रेणी के पर्वतों की ऊंचाई 304 से 914 मीटर तक है परंतु आबू के पास शिखर जो इसकी सबसे ऊंची चोटी है 1158 मीटर ऊंची है !

पृथ्वी पर सबसे प्राचीन यह पर्वत श्रंखला पर्वत तथा किलो के रूप में विद्यमान है और एक दूसरे के समांतर उत्तर दक्षिण दिशा में दिल्ली के पास से गुजरात में अहमदाबाद तक 800 किलोमीटर की लंबाई में फैली है यह दिल्ली के पास दिल्ली की पहाड़ियों के नाम से जानी जाती है 

अमरकंटक पर्वत 

1066 मीटर तक ऊंचाई यह पर्वत श्रेणी पूर्व की ओर छोटा नागपुर के पठार में समाप्त होती है !

महादेव श्रेणी 

महादेव श्रेणी सतपुड़ा पर्वत के पूर्वी विस्तार को कहते हैं प्रदेश में इसका विस्तार छिंदवाड़ा नरसिंहपुर सिवनी तथा होशंगाबाद जिले में है इसका निर्माण बलुआ पत्थर एवं क्वार्ज चट्टानों से हुआ है प्रदेश के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पचमढ़ी एवं धूपगढ़ इसी श्रेणी पर स्थित है यहां उष्णकटिबंधीय वन विस्तृत रूप में पाए जाते हैं !

मैंकाल अमरकंटक श्रेणी 

सतपुड़ा पर्वत के दक्षिण पूर्वी विस्तार को मेंकॉल अमरकंटक श्रेणी कहा जाता है इसका निर्माण बलुआ पत्थर क्वार्टज एवं अवसादी चट्टानों से हुआ है इसका विस्तार प्रदेश के शहडोल मंडला एवं डिंडोरी जिलों में है नर्मदा नदी का उद्गम इसी क्षेत्र से होता है !

कैमूर भांडेर श्रेणी

नर्मदा नदी के पूर्वी भाग में स्थित विंध्याचल पर्वत के पूर्वी विस्तार को भांडेर कैमूर श्रेणियों के नाम से जाना जाता है इनका निर्माण बलुआ पत्थर एवं पवार चट्टानों से हुआ है उनकी औसत ऊंचाई 450 से 600 मीटर के मध्य है यह यमुना और सोन नदी के जल विभाजक हैं प्रदेश में इनका विस्तार सीधी, सतना, रीवा, पन्ना और छतरपुर जिले में है !

क्रिटेसियस कल्प

मध्यप्रदेश में क्रिटेसियस कल के साथ नर्मदा घाटी में मिलते हैं नर्मदा घाटी में नदी तथा एस्चुअरी के नीचे कौन से बने शैल समूह मिलते हैं जिन्हें बाग सीरीज कहा जाता है मध्य प्रदेश के अन्य भागों में बिखरे हुए अपेक्षाकृत नए नीचे प्राणों को लपेटा सीरीज के नाम से पुकारा जाता है इनमें सिलिका मिश्रित चूने के पत्थर मिट्टी मिश्रित बालू का पत्थर ग्रेट तथा प्ले प्रमुख सेल हैं इन चट्टानों में कुछ जीवाश्मों पर अबशेष भी पाए जाते हैं !

दकन ट्रैप

बागपत आलमीरा इस तरह को नीचे कौन से ज्वालामुखी क्रिया पश्चात बेसाल्ट निर्मित पठार दकन ट्रैप कहलाता है ! जैसे :- मालवा का पठार

तृतीयक शैल समूह

तृतीयक शैल समूह में गोंडवाना महाद्वीप टूटकर छोटे-छोटे भागों में विभाजित हो जा गया है तथा उनके बीच का भाग सागर के नीचे डूब गया है इस समय दक्कन के पठार को वर्तमान आकार मिला तथा टेथिस सागर का विशाल नीक्षेप्ण मोड़दार पर्वत के रूप में ऊपर उठकर हिमालय पर्वत बना इन अंतर भोमिक क्रियाओं का प्रभाव दक्षिण मध्य प्रदेश पर भी पड़ा !

मध्य प्रदेश में विभिन्न युग एवं उनके सक्ष्य है

  • आद्य महाकाल्प(आर्कियन) ?बुंदेलखंड का गुलाबी ग्रेनाइट निस, सिल,डाइक !
  • धारवाड़ समूह ? बालाघाट की चिल्पी श्रेणी, छिंदवाड़ा का सोनसर श्रेणी, बुंदेलखंड की बिजावर श्रेणी
  • पूरान संघ ? पन्ना, ग्वालियर की बिजावर श्रेणी, कैमूर,भांडेर, रीवा श्रेणी
  • द्रविड़ संघ ? मध्यप्रदेश में साक्ष्य नहीं मिलते हैं
  • आर्य समूह ? सतना एवं बघेलखंड में विस्तृत कोयला घाटी
  • क्रिटेयसकल्प? बाघ, लपेटा, मालवा के पठार, ज्वालामुखी,संसतर
  • तृतीयक समूह? नर्मदा सोन घाटी

गोंडवाना शैल समूह ( Gondwana Shell Group )

गोंडवाना शैल समूह की चट्टानें मध्यप्रदेश में मुख्य रूप से सतपुड़ा क्षेत्र तथा बघेलखंड पठार में मिलती है जहां यह सेल एक समूह एक अर्धवृत्त के रूप में उत्तर में सीधी से लेकर दक्षिण में रायगढ़ तक विस्तृत है !

इस समूह की चट्टानों में एकरूपता मिलती है इनके किनारे विकसित होते हैं गोंडवाना शैल समूह के गठन में बहुत अधिक भिन्नता मिलती है इसमें मोटी और महीन बालू मिट्टी आदि की परतें निरंतर एक दूसरे में बदलती हैं !

 मध्य प्रदेश की गोंडवाना शैल समूह की चट्टानों का अध्ययन निम्नलिखित तीन भागों में विभाजित करके किया जाता है

1. लोअर गोंडवाना शैल समूह
अलवर गोंडवाना शैल समूह को ताल चीर के नाम से जाना जाता है यह मुख्य रूप से सोहन महानदी घाटी में सतपुड़ा के क्षेत्रों में मिलते हैं इनकी 10 से 122 मीटर मोटी बनावट से भूवैज्ञानिकों ने यह निष्कर्ष निकाला है कि इनका परिवहन हिम तथा जंतुओं के द्वारा किया गया है इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि उस काल में यह क्षेत्र सीट युक्त प्रभाव में था क्विज घाटी तथा मोहपानी के कोयला क्षेत्र तालचीर शैल समूह के अंतर्गत ही आते हैं !

2. मध्य गोंडवाना शैल समूह
मध्यप्रदेश में मध्यगोंडवाना रेल समूह का समुचित विकास सतपुड़ा क्षेत्र में हुआ सतपुड़ा क्षेत्र के चारों स्तर पंचेत, पचमणि देनावा तथा बागरा में इस समूह की चट्टानें मिलती है पचमढ़ी क्षेत्र में महाकाल मौसी था वह वाला बालू तथा पत्थर मिलता है इसमें लोहे की अधिकता के कारण यह पीले से लाल रंग का है पचमढ़ी सेल के ऊपर देनवा का आवरण है !

3. अपर गोंडवाना शैल समूह 
अपर गोंडवाना शैल समूह सतपुड़ा तथा बघेलखंड दोनों क्षेत्रों में मिलते हैं इस में अधिकतर बालू का पत्थर और सेल मिलते हैं साथ ही इसमें कोयले की परतें तथा वनस्पतिक पदार्थ एवं चूने के पत्थर की पढ़ते ही मिलती हैं सतपुड़ा क्षेत्र में इसे चौगान तथा जल जबलपुर स्तर के नाम से जाना जाता है !

 

 


 

 

No comments:

Post a Comment

  मध्यप्रदेश के राष्ट्रीय उद्यान   मध्यप्रदेश के प्रमुख पर्वत   मध्य प्रदेश के प्रमुख महल एवं किले    मध्य प्रदेश की नदियां   मध्य प्रदेश को...